#Mayawati, #Uttar Pradesh, #UP elections, #Uttar Pradesh Elecctions, #BSP, #Bahujan Samaj Party
Tuesday, February 28, 2017
Why Should Mayawati not become UP CM again
#Mayawati, #Uttar Pradesh, #UP elections, #Uttar Pradesh Elecctions, #BSP, #Bahujan Samaj Party
Saturday, February 25, 2017
Satta bids prefer UP polls over Cricket series
Saturday, February 18, 2017
Might seems Right for BJP Now
Friday, February 17, 2017
This Picture is discomforting
Thursday, February 16, 2017
चुनाव के लिए कुछ भी करेगा
दिलीप अवस्थी
कहते हैं चुनाव तब लड़ो जब गधे को भी बाप बनाने का दम रखो I वैसे तो रिश्ते नितांत निजी मसला होते हैं लेकिनद चुनाव मैं तो सबके चरण देवता तुल्य नज़र आते हैं I
बस यह संयोग ही है की अपनी बात कहने की लिए जो दो फोटो अच्छी लगी वे अपर्णा (बिष्ट) यादव की हैं और और बिलकुल ताज़ा यानि कल यानी फरवरी 15 की हैं I लेकिन यह दृश्य किसी भी पार्टी के मंच पर देखे जा सकते हैं I एक फोटो में अपर्णा अपने ससुर मुलायम सिंह के पैर छू रही हैं तो दूसरी में जेठानी डिंपल यादव केI
क्या ही अच्छा हो की ऐसे बड़े और छोटे के सम्बन्ध चुनाव के बाद भी बने रहें I लेकिन चुनाव में तो पैर चुने का मकसद दिखावा ही होता है I जग ज़ाहिर है की अखिलेश यादव और उनके सौतेले भाई प्रतीक एकदूसरे से मिलना छोड़ देखना भी पसंद नहीं करते हैं I घर की खाने की मेज़ पर भी तब आते हैं जब दूसरा जा चुका हो I इसी तर्ज़ पर देवरानी-जेठानी भी एक दूसरे की परछांई से भी दूर रहना चाहती हैं I
लेकिन कल जब डिंपल अपर्णा की चुनावी सभा में पहुंची तो देवरानी ने मंच पर ही उनके लपक कर पाँव छुए I डिंपल ने भी वोटरों से अपील की क़ि उनकी देवरानी बड़ी कर्मठ है और उसे जिताओ तो खूब काम करेगी I इसी तरह जब मुलायम सिंह अपर्णा की एक दूसरी सभा में पहुचे तो छोटी बहु ने फिर फिर मंच पर ही उनके पैर पकड़ कर आशीर्वाद लिया I जनता में बैठे एक बुढऊ बोले, "अरे कम से कम सर तो ढक लेतीं बहुरानी I " लेकिन लोगों का क्या, उनका तो काम है कहना I
मुलायम सिंह ने अपर्णा की जोरदारी से प्रशंसा की और कहा, "मेरी बहु ने बहुत काम किया है, उसे जीता जरूर देना, इज़्ज़त का सवाल है I" जनता में से ही एक सज्जन कह उठे, "अरे नेताजी बहु से इतना काम क्यों करवाते हो ?"अपर्णा चुनाव में पूरी ताकत से तो नज़र आती है लेकिन उनका लोगों से संपर्क न के बराबर है क्योकि या तो वह बारे नेताओं से घिरी रहती हैं या फिर हटो-हटो करती सिक्योरिटी से I
Tuesday, February 14, 2017
Bari Didi versus Choti Bahu
Tables have turned for Lucknow Cant seat in this Vidhan Sabha election. This seat has been shuttling between the BJP and the Congress in the past couple of elections. Congress won it in 2012 the candidate who qon it for the Congress is contesting as a BJP nominee. On the other hand Samajwadi Party, which has had almost no say here, is contesting as BJP's main rival with Congress support of course. Comp;icated isn't it ?
Let's first add a little more to your confusion. The two women contestants are reffered by the voters as "Bari Didï" and "Choti Bahu". One is daughter of a former heavy weight UP chief minister and the other is daughter-in-law of another former chief minister and also step sister-in-law of the present chief minister. Is politics just a dynastic affair?
Enough of puzzles, welcome to the contest between Rita Bahuguna Joshi (67), daughter of Hemwati Nanadan Bahuguna, the sitting Congress MLA from this seat who has crossed over to the BJP and Aparna (Bisht) Yadav (26), Mulayam Singh Yadav's daughter-in-law and SP candidate, who is mostly surrounded by Congress leaders when she is campaigning. Rita Bahuguna Joshi is a seasoned politician, and is a professor at the University of Allahabad. She has been a Congress leader for last 24 years and has held positions of Mayor of Allahabad, National President of Mahila Congress (2003-2007) and State president of Congress (2007-2012). She joined BJP in 2016. For her five year term she has really worked hard and has nursed her constituency well.
Aparna Yadav, on the other hand is Mulayam Singh's "Choti Bahu". It starts and ends here. After her initial schooling in Lucknow, she studied in London where Prateek, Mulayam Singh's second son from his second wife was also studying. Both got involved in an affair and later got married. Akhilesh, Mulayam's elder son from his first wife, and Prateek are like two poles of a magnet. They repel and never meet. Even in family function one arrives but the other leaves just in time. The Choti Bahu also does her part. She goes and publicly touches BJP leader Rajnath Singh's feet, issues statements which make chief minister Akhilesh cringe and finds Congress leaders more amicable than the SP bandwagon. Aparna started working in this constituency a little late as she was not sure that she would get SP's ticket though her father-in-law had announced it a couple of months ago.
In the 2012, Rita Joshi won this seat as Congress candidate by a comfortable margin of 21,000 votes against BJP. This time around, Joshi has herself switched loyalty and is contesting as a BJP candidate. This seat with 1.73 lakh voters is dominated by around 78,000 Brahmins, 36,000 Thakurs and a significant Pahari (Hill) population. Rita Bahuguna Joshi is a Pahari Brahmin and Aparna in her maiden days was a Pahari Thakur.
A high-pitched campaign is on for this seat which will go to polls next Sunday.
चुनाव चौराहों तक उतरी पारिवारिक कलह
दिलीप अवस्थी
मुलायम परिवार की भितरघात अब महल से निकल कर चुनावी चौराहों पर आ गयी है I चाचा -भतीजे के बीच शीतयुद्ध अब मुखर हो चला है I मुखिया मुलायम सिंह बस मूक दर्शक बने कभी अपने भाई तो कभी अपनी छोटी बहु को रिझाने में जुटे रहते हैं I उनकी तरफ से अखिलेश के हिस्से में लताड़ ही आती है I
अब आप एक बार इटावा और उसके आसपास लगे पोस्टरों को निहारिये बात साफ़ हो जाएगी I पोस्टर में या तो शिवपाल सिंह नज़र आएंगेया शिवपाल और मुलायम I न तो मुख्यमंत्री अखिलेश का कहीं पता है और न ही किसी और नेता का I हाँ सपा की सायकिल जरूर नज़र आएगी I
पिछले दो दिनों से जसवंतनगर सीट, जहाँ से शिवपाल चुनाव लड़ रहे हैं, का मुलायम सिंह ने सघन दौरा किया और घर घर जाकर अपने भाई के लिए वोट मांगे I कई चुनावी सभाएं संबोधित करते हुए मुलायम ने शिवपाल को भारी मतों से जिताने कीअपील की I यहाँ तक कहा की समझ लेना मैं खुद चुनाव लड़ रहा हूँ I
यह भी कहने से मुलायम नहीं चुके कीसरकार तो सपा की ही थी लेकिन अगर कोई नाराज़गी हो तो भूल जाना, माफ़ कर देना I क्या करें हम तो अखिलेश के मंत्रियों से लोगों के काम करने की चिरौरी ही करते रहे पर इनमंत्रियों ने कुछ नहीं किया I अखिलेश से भी शिकायत की और जब शिवपाल को हटाया तो हमने बहुत समझाया पर बात बेकार गयी I अब क्या करें वह भी तो हमारा लड़का ही है I
उधरलखनऊ की कैंट सीट से भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ रही अखिलेश के सौतेले भाई प्रतीक की पत्नी अपर्णा (बिष्ट)) यादव भीअपने चर्चित बयानों के कारण सपा के कोपभाजन का सामना कर रही हैं I पहाड़ी ठाकुर परिवार से सम्बंधित अपर्णा ने अपनी चुनावी सभा में कह डाला कि देश में अब आरक्षण जातिगत न हो कर स्थितिगत यानी गरीबी आधारित होना चाहिए I बात अपने आप में काफी दमदार है पर सपा की राजनीति के खिलाफ बैठती है I पार्टी ने भी उन्हें आदेश दे दिया की वह नीतिगत मामलों परबयान न देकर केवल अपने चुनाव तक ही सीमित रहें I
मुलायम की बहु के लिए इस सीट से जीतना आसान नहीं होगा क्यों की कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी यहाँ से पिछली बार जीती थी I इस बार वह भाजपा की प्रत्याशी हैं i इस क्षेत्र मेंउन्होंने काफीमेहनत की है जबकि अपर्णा बिलकुल नया चेहरा हैं I मुलायम सिंह की बहु होने के बाद भी उनके मंच पर कांग्रेसी नेता ज्यादा और सपाई नेता कम नज़र आते हैं I हालाँकि इटावा से आकर ससुरजी अपर्णा के लिए भी चुनावी सभा करने वाले हैं I
Monday, February 13, 2017
ग़लतफहमी न पैदा कर दे पहला चरण
दिलीप अवस्थी
भारतीय जनता पार्टी 11 फरवरी को हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए मतदान से बहुत प्रसन्न नज़र आ रही है I भाजपा के रास्जतरिया अध्यक्ष अमित शाह तो यहाँ तक कह रहें हैं कि पहले चरण मैं उनकी पार्टी को 50 से अधिक सीटें मिल जाएँगी I लेकिन पहले चरण को देख कर भाजपा ग़लतफहमी न पाले तो उसके लिए अच्छा रहेगा I
पहले चरण मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुल73 सीटों पर व् मतदान हुआ I यह इलाका ऐसा हैं जहाँ समाजवादी पार्टी की कभी भी पकड़ नहीं रही है I कांग्रेस पार्टी भी यहाँपूरे प्रदेश की तरह कमजोर ही है Iपॉचमनचल मैंमुख्यतः भाजपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद ) मैं संघर्ष होता रहा हैं I कई प्रदेश नेताओं की बगावत और मायावती के अकेले पड़ने के बाद बसपा हर कहीं कमजोर पड़ी है I रालोद का भी प्रभाव कुछ ही जिलों मैं है I ऐसे मैं पश्चमी उत्तर प्रदेश मैं भाजपा का बोलबाला हो जाये तो कोईबड़ी बात नहीं है I
इसी तरहबुंदेलखंड की21 सीटों पर भी सपा की साइकिलपंक्चर ही हो जाती है I यहाँ बसपा का बोलबोला रहता है और भाजपा टक्कर देती है I शहरी सीटों पर तो भाजपा का जोर रहता है लेकिन ग्रामीणक्षेत्रों मैं बसपा का हाथी बिना रोकटोक के चलता है I कभी यहाँ कांग्रेस भी दम से लड़ा करती थी लेकिन अब हालात बस गुज़ारे लायक हैं I सपा तो यहाँ की लड़ाई में नंबर दो से चार पर रहती है I
लेकिन प्रदेश की असली लड़ाई तो पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य उत्तर प्रदेश और रुमें होती है I इनक्षेत्रों की309 सीटों में जिसने बढ़त बना ली वह सिकंदर बन जाएगा I भाजपा बिना मुख्यमंत्री के चेहरे और सशक्त राज्य नेताओं के चुनाव में उतरी है I जबकि भाजपा ने लोगों का खोया विश्वास काफीहद तक जीता है, उसके लिए यहाँ लड़ाई आसान नहीं होगी I बसपा तो पहले से ही कुम्हलाई हुई है और उसकी सोशल इंजीनियरिंग भी उसका साथ नहीं दे रही है I यूँ तो बसपा ने मुसलमानो को101 सीटों पर लड़ाया है लेकिन यहडर कि मायावती चौथी बार भी भाजपा से हाथ मिला सकती हैं, बसपा से मुस्लिमों को दूर रख सकता है I
इसके विपरीत अखिलेश कीस्वच्छ छवि , युवा हौसला और कुछ अच्छे कार्यों को धरातल पर लाने का जोश उन्हें निश्चित ही लड़ाई में थोड़ी बढ़त देता है I वैसे तो गणित का चुनाव में ज्यादा मतलब नहीं होता लेकिन कांग्रेस से मिलने के बाद दोनों पार्टियों का2012 का मत प्रतिशत41 % हो जाता है. पिछले चुनाव में सपा को 29. 5 % वोट मिले थे तो उसने224 सीटें मिली थीं जबकि बसपा ने25 % मत पाकर 80 सीटें जीती और भाजपा ने15 % वोट लेकर47 सीटों पर जीत दर्ज की थी I सपा पूर्ण बहुमत पाकर 77 सीटों पर संघर्ष में दूसरे स्थान पर और 56 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही थी I
2014 में मोदीजी के उद्भव के बाद भाजपा की स्थिति में फर्क जरूर आया हैलेकिन अकेले उनकी छवि के सहारे विधान सभा का जीतना आसान न होगा I फिर नोटबंदी से फैली नाराज़गी भी भाजपा को झेलनी पड़ सकती है I प्रदेश में अखिलेश राज के पांच वर्षों में भाजपा की निष्क्रियता भी उसे लाभ तो नहीं ही दे पायेगी I ऐसे में अखिलेश का पलड़ा भारी पड़े तो कोई बड़ी बात न होगी I