दिलीप अवस्थी
भारतीय जनता पार्टी 11 फरवरी को हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए मतदान से बहुत प्रसन्न नज़र आ रही है I भाजपा के रास्जतरिया अध्यक्ष अमित शाह तो यहाँ तक कह रहें हैं कि पहले चरण मैं उनकी पार्टी को 50 से अधिक सीटें मिल जाएँगी I लेकिन पहले चरण को देख कर भाजपा ग़लतफहमी न पाले तो उसके लिए अच्छा रहेगा I
पहले चरण मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुल73 सीटों पर व् मतदान हुआ I यह इलाका ऐसा हैं जहाँ समाजवादी पार्टी की कभी भी पकड़ नहीं रही है I कांग्रेस पार्टी भी यहाँपूरे प्रदेश की तरह कमजोर ही है Iपॉचमनचल मैंमुख्यतः भाजपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद ) मैं संघर्ष होता रहा हैं I कई प्रदेश नेताओं की बगावत और मायावती के अकेले पड़ने के बाद बसपा हर कहीं कमजोर पड़ी है I रालोद का भी प्रभाव कुछ ही जिलों मैं है I ऐसे मैं पश्चमी उत्तर प्रदेश मैं भाजपा का बोलबाला हो जाये तो कोईबड़ी बात नहीं है I
इसी तरहबुंदेलखंड की21 सीटों पर भी सपा की साइकिलपंक्चर ही हो जाती है I यहाँ बसपा का बोलबोला रहता है और भाजपा टक्कर देती है I शहरी सीटों पर तो भाजपा का जोर रहता है लेकिन ग्रामीणक्षेत्रों मैं बसपा का हाथी बिना रोकटोक के चलता है I कभी यहाँ कांग्रेस भी दम से लड़ा करती थी लेकिन अब हालात बस गुज़ारे लायक हैं I सपा तो यहाँ की लड़ाई में नंबर दो से चार पर रहती है I
लेकिन प्रदेश की असली लड़ाई तो पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य उत्तर प्रदेश और रुमें होती है I इनक्षेत्रों की309 सीटों में जिसने बढ़त बना ली वह सिकंदर बन जाएगा I भाजपा बिना मुख्यमंत्री के चेहरे और सशक्त राज्य नेताओं के चुनाव में उतरी है I जबकि भाजपा ने लोगों का खोया विश्वास काफीहद तक जीता है, उसके लिए यहाँ लड़ाई आसान नहीं होगी I बसपा तो पहले से ही कुम्हलाई हुई है और उसकी सोशल इंजीनियरिंग भी उसका साथ नहीं दे रही है I यूँ तो बसपा ने मुसलमानो को101 सीटों पर लड़ाया है लेकिन यहडर कि मायावती चौथी बार भी भाजपा से हाथ मिला सकती हैं, बसपा से मुस्लिमों को दूर रख सकता है I
इसके विपरीत अखिलेश कीस्वच्छ छवि , युवा हौसला और कुछ अच्छे कार्यों को धरातल पर लाने का जोश उन्हें निश्चित ही लड़ाई में थोड़ी बढ़त देता है I वैसे तो गणित का चुनाव में ज्यादा मतलब नहीं होता लेकिन कांग्रेस से मिलने के बाद दोनों पार्टियों का2012 का मत प्रतिशत41 % हो जाता है. पिछले चुनाव में सपा को 29. 5 % वोट मिले थे तो उसने224 सीटें मिली थीं जबकि बसपा ने25 % मत पाकर 80 सीटें जीती और भाजपा ने15 % वोट लेकर47 सीटों पर जीत दर्ज की थी I सपा पूर्ण बहुमत पाकर 77 सीटों पर संघर्ष में दूसरे स्थान पर और 56 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही थी I
2014 में मोदीजी के उद्भव के बाद भाजपा की स्थिति में फर्क जरूर आया हैलेकिन अकेले उनकी छवि के सहारे विधान सभा का जीतना आसान न होगा I फिर नोटबंदी से फैली नाराज़गी भी भाजपा को झेलनी पड़ सकती है I प्रदेश में अखिलेश राज के पांच वर्षों में भाजपा की निष्क्रियता भी उसे लाभ तो नहीं ही दे पायेगी I ऐसे में अखिलेश का पलड़ा भारी पड़े तो कोई बड़ी बात न होगी I
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